जिस वकील ने की पैरवी उसी से दिल लगा बैठा था Gangster Sunil Rathi, सुनील राठी की पढ़िए पूरी कहानी
जिस वकील ने की पैरवी उसी से दिल लगा बैठा था Gangster Sunil Rathi, सुनील राठी की पढ़िए पूरी कहानी
जिस प्रोपर्टी पर राठी लिखवा दिया जाता था उस पर हाथ रखने से पहले खरीददार सौ बार सोचता था, अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए उसने हाथ में हथकड़ी पहनने से भी गुरेज नहीं किया, जिस महिला वकील ने उसके केस की पैरवी की उसे ही दिल दे बैठा, यूपी और उत्तराखंड के कई नेताओं से जिसके अच्छे खासे संबंध थे, उस गैंगस्टर का नाम था सुनील राठी.....सुनील राठी फिलहाल दिल्ली की जेल में अपने कर्मों की सजा जरूर काट रहा है मगर कहा जाता है कि वो आज भी उतना ही ताकतवर है जितना जेल जाने से पहले था, उसकी दबंगई के किस्सों की अगर बात करें तो वो खुद कह चुका है कि जिस जेल में उसे 90 दिन रखा जाता है उसी जेल में 91वें दिन से उसका राज शुरू हो जाता है, ये हम नहीं कह रहे बल्कि कई जेल अधिकारी अपने बयान में कह चुके हैं।
कहानी की शुरुआत होती है, उत्तर प्रदेश के बागपत से, जहां किसान के परिवार में जन्म हुआ था सुनील राठी का, 90 का दशक था। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश तब और भी ज्यादा बड़ा हुआ करता था। मतलब तब तक उत्तराखंड इससे अलग नहीं हुआ था। सुनील राठी के पिता नरेश राठी नेता थे और टिकरी के चेयरमैन बने थे। लेकिन, पारिवारिक रंजिस में साल 1999 में उनकी हत्या कर दी गई। कहा जाता है कि ये चुनावी रंजिश थी। इसके आरोपी साहब सिंह राठी और मोहकम सिंह राठी थे। ये एक ऐसी घटना थी, जिसने किसान परिवार के लड़के को बाहुबली बना दिया। पिता की हत्या का बदला लेने के लिए राठी ने एक गैंग बनाया और एक साल के बाद ही साल 2000 में पिता के हत्यारों से बदला ले लिया। उसपर एक के बाद एक 4 हत्याओं का आरोप है। इस चौहरे हत्याकांड की पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा हुई थी। इसके बाद वह बागपत से फरार हो गया। बागपत से भागकर वह दिल्ली में छिप गया। लेकिन, वह चुप बैठने वाला नहीं था। उसने कई शार्प शूटर भर्ती कर लिए, जुर्म की दुनिया में नए नए कदम रखने वाले इस गैंगस्टर का साथ किसी और ने नहीं बल्कि उसकी अपनी मां ने दिया था, जो खुद भी फिरौती मांगने के मामले में जेल जा चुकी है।
पहली बार 2001 में पुलिस ने किया गिरफ्तार
उसने दिल्ली के ही एक शोरूम में
डकैती डाली और अपने साथियों के साथ वहां के तीन लोगों की हत्या कर दी। इसके बाद
दिल्ली भी उसका सुरक्षित ठिकाना नहीं रह गया था। हरिद्वार उन दिनों यूपी का ही
हिस्सा हुआ करता था। राठी हरिद्वार चला गया और कुछ दिनों तक वहीं छिपा रहा। जिस
वक्त उत्तर प्रदेश का बंटवारा हो रहा था उस दौरान सुनील राठी अपनी अलग ही धुन में
लगा था, उसने अपनी सारी ताकत गैंग को चारों तरफ फैलाने में झोंक दी, लेकिन साल 2001 में राठी
पुलिस के हत्थे चढ़ा था, तब उसके पास से उस जमाने में हैंड ग्रेनेट बरामद हुआ था,
जो अपने आप में बहुत बड़ी बात थी, जेल जाने के बाद अब सुनील राठी नामी गैंगस्टर बन
चुका था, अब उसने जमीन पर कब्जा करना और रंगदारी मांगने का काम शुरू कर दिया, और
जेल में बैठे बैठे ही अपने गुर्गों की मदद से उत्तराखंड और बागपत में काफी जमीन पर
कब्जा कर लिया। कहा जाता है कि कई बार वह प्रॉपर्टी पर अपने आदमियों को भिजवाकर 'राठी' लिखवा
देता था। इससे वह यह संकेत दे देता था कि उसी प्रॉपर्टी पर अब उसका अधिकार है। सुनील
पर साल 2011 में रुड़की जेल में जेलर की हत्या का आरोप भी लगा था। सुनील राठी जब से
गिरफ्तार हुआ, तब से केवल उसकी जेलें बदली गई। वह खुद कभी जेल से बाहर नहीं
आया।
जिस जेल में गया वहां किया राज
सुनील राठी के बारे में कहा जाता है ये कि वो गैंगस्टर है जो जिस किसी जेल में 90 दिन रह जाए फिर 91वें दिन से वहां उसकी हुकूमत चलने लगती है। ये किसी फिल्म का डायलॉग नहीं है, बल्कि, ये एक बेहद खतरनाक गैंगस्टर सुनील राठी का स्टेटमेंट है। और वह यह बात किसी और से नहीं बल्कि जेल के अधिकारियों तथा वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को बताता है। जैसे हर विलेन की कहानी में एक टविस्ट होता है ठीक वैसे ही सुनील राठी की कहानी में भी एक दिलचस्प किस्सा है, और वो किस्सा है उसका प्रेम प्रसंग, जो महिला वकील सुनील राठी के केस की अदालत में पैरवी करती थी सुनील को उसी से प्यार हो गया था और फिर दोनों ने शादी भी कर ली, दोनों का एक बेटा भी है, गैंगस्टर सुनील राठी पर इतने केस दर्ज हैं कि वो कभी जेल से बाहर नहीं आ सका, इसलिए वो अपने काले गुनाहों की परछाई भी बेटे तक नहीं पहुंचने देता, सुनील राठी का बेटा बाहर रहकर पढ़ाई करता है।
नेताओं की मदद से खूब कमाए पैसे
सुनील राठी के गुनाहों से उसके पाप
का घड़ा भरता जा रहा था, अपने काले कारनामों की कालिख को सफेद करने के लिए उसने
खादी पहनने की योजना बनाई, सुनील राठी का वहां के सफेदपोश नेताओं से संपर्क हो
गया। इसका फायदा उसे मिलने लगा। वे हर मुश्किल में इसकी मदद करते और इसके गुर्गे
उन नेताओं की। कई जमीन के केस में सुनील राठी की मदद से दोनों नेताओं ने खूब पैसे
कमाए और उनकी सियासत भी ऊंची होती गई. राजनीति में उतरी मां सुनील राठी की मां
राजबाला अपने पति की सीट से टिकरी कस्बे से ही नगर पंचायत की चेयरमैन बन गईं। इसके
साथ ही परिवार की एक बार फिर राजनीति में एंट्री हो गई। उत्तराखंड के नेताओं की
मदद से सुनील राठी अपनी मां के लिए राजनीति की जमीन तैयार करने लगा। उसकी मां
विधानसभा का भी चुनाव लड़ीं। लेकिन,
उन्हें हार का सामना करना पड़ा। रंगदारी में
मां भी हुई थी गिरफ्तार साल 2017 में रुड़की के एक डॉक्टर एनडी अरोड़ा से सुनील
राठी ने 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी। उसने जेल से ही डॉक्टर को कहा था कि वह
उसकी मां तक ये पैसे पहुंचा दे। इसके बाद रुढ़की पुलिस ने राठी को रिमांड पर लिया
था। वहीं, राठी की मां राजबाला राठी को भी गिरफ्तार किया गया था।
कहा जाता है कि अपराध की दुनिया में चलाई गई गोली लौट कर जरूर वापस आती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ही एक दूसरा अपराधी चीनू पंडित था जिससे सुनील राठी की अदावत चलने लगी। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे रहने लगे और एक दूसरे पर हमले की ताक में लगे रहते। लेकिन, यहां भी काफी हद तक किस्मत राठी का ही साथ देती थी, राठी और चीनू पंडित दोनों ही जेल में थे। दोनों का नेटवर्क वहीं से चल रहा था और दोनों की दुश्मनी हर दिन गहरी होती जा रही थी। इस बीच अगस्त 2014 में चीनू पंडित को जमानत मिल गई। वह जेल से रिहा हो रहा था। राठी को ये बात नागवार गुजरी और उसे मौका भी मिल गया। राठी के गुर्गों ने चीनू पंडित पर एक-47 से हमला कर दिया। ये वह समय था जब कम ही अपराधियों के पास एक-47 हुआ करती था। इस अंधाधुंध फायरिंग में 3 लोगों की मौत हुई और 7 लोग घायल हुए। लेकिन, चीनू पंडित बच निकला। चीनू ने इसके बाद सुनील राठी, सुशील राठी, सतीश राणा सहित कई लोगों को नामजद किया। इसके बाद से चीनू और सुनील राठी एक दूसरे पर लगातार आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहें। कहा तो ये भी जाता रहा है कि दोनों एक दूसरे की हत्या की साजिशें लगातार रचते रहते हैं।
मुन्ना बजरंगी की हत्या का लगा था आरोप
सुनील राठी जब रुड़की जेल में बंद था तो उसने अपनी जान को खतरा बताया था, जिसके बाद उसे बागपत जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। इसी दौरान सुनील राठी का नाम उस समय चर्चा में आया, जब 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में बंद कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जानकारी के मुताबिक उसे हरिद्वार से पेशी पर बागपत जेल में लाया गया था, जहां मुन्ना बजरंगी को सुनील राठी ने गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया था। बताया जाता है कि बजरंगी की हत्या से एक रात पहले ही राठी, बजरंगी और एक अन्य कैदी वहां बैठकर शराब पिए थे। इसके बाद अगली सुबह 6.15 बजे बजरंगी को उसकी बैरक में घुसकर मार दिया गया। बजरंगी की हत्या में राठी मुख्य आरोपी है। मगर कहा ये जाता है कि सुनील राठी मुन्ना बजरंगी को एक समय अपना गुरू मानता था फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। और चेले ने गुरु को ही मरवा दिया। बागपत जेल के अंदर गैंगस्टर प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की कथित तौर पर हत्या करने वाले राठी को हाई रिस्क जेल नंबर 15 से सेंट्रल जेल नंबर 14 में शिफ्ट कर किया गया। कहा जाता है कि जब मुन्ना बजरंगी का पोस्टमार्टम हुआ था तो रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि उसके शरीर पर गोलियों से तेरह ऐसे छेद हो गए थे जिससे शरीर के आरपार देखा जा सकता था, अब आप सोच सकते हैं कि उसे कितनी भयानक मौत दी गई थी।पुलिस करने वाली थी एनकाउंटर
सुनील राठी के परिजन बताते हैं कि
यूपी पुलिस उसका एनकाउंटर करने वाली थी मगर मीडिया के डर से वो ऐसा नहीं कर सकी और
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुनील को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया। लेकिन
देश की सबसे हाईप्रोफ़ाइल जेल 'तिहाड़' तक में भी बंद रहने के दौरान वह अपना नेटवर्क चलाता रहा। राठी
को लगातार 19 साल जेल में रहते हो गए, लेकिन उसके नेटवर्क को तोड़ा नहीं जा सका।
देखते ही देखते सुनील राठी पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में 'डॉन
नंबर-1' कहा जाने लगा। सुनील राठी वह शख्स है, जिसकी क्राइम हिस्ट्री पर सरकारों के बदलने
का भी कभी कोई फर्क नहीं पड़ा। सरकारें आती जाती रहीं, लेकिन, सुनील
राठी अपने वर्चस्व और दबदबे को बनाए रखने में कामयाब रहा। चाहें वह जेल के अंदर हो
या फिर जेल से बाहर। वहीं बीते साल दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में हुए शूटआउट के बाद
इस कुख्यात अपराधी सुनील राठी को मंडोली जेल परिसर की हाई रिस्क जेल नंबर 15 से
शिफ्ट कर सेंट्रल जेल नंबर 14 जेल में डाला गया था। यह अपराधी भी अभी जेल के अंदर
अपने अपराधों की सजा भुगत रहा है,
लेकिन उसके गुर्गे अभी भी अलग-अलग जगह
वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
जेल में कैद रहकर भी संभाल रहा था पूरा नेटवर्क
जेल की ऊंची-ऊंची चहारदिवारियों में
कैद रहते हुए भी पूरा नेटवर्क संभाले रहता था। इस दौरान पूर्वी यूपी से लेकर
दिल्ली, हरियाणा और पंजाब तक के अपराधियों में उसकी पैठ हो चुकी थी। 1 जून 2019
को सुनील राठी को 7 घंटे के लिए पैरोल मिली थी, जिसके चलते दिल्ली पुलिस तिहाड़ जेल से सुरक्षा
में लेकर उसके गांव के लिए निकली थी। लेकिन, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे पर उसकी
गाड़ी के पीछे 5 गाड़ियां लग गईं। शक होने पर एसपी ने चेकिंग के आदेश दिए। सुबह 10
से शाम 7 बजे तक पैरोल पर रहने के बाद वह एक बार फिर जेल की चारदिवारियों में कैद
हो गया। लेकिन, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि सुनील
राठी के नेटवर्क पर अभी भी कोई प्रभाव पड़ा है। वह अपना पूरा गैंग उसी तरह चला रहा
है, जैसे पिछले कई सालों से चला रहा है। सुनील की मां राजबाला चौधरी व परिवार
के अन्य लोगों पर भी दिल्ली, मेरठ, बागपत और हरिद्वार में हत्या, हत्या की साजिश, रंगदारी, अपहरण
समेत कई मामलों में केस दर्ज है। उसके खौफ की अगर बात करें तो पिछले साल ही बीजेपी
के एक विधायक ने राठी से डरकर ही पुलिस से सुरक्षा की भी मांग की थी, बहरहाल करीब
39 साल का खूंखार गैंगस्टर सुनील राठी आधी से ज्यादा उम्र जेल में बीता चुका है,
मगर ना तो उसका खौफ कम हुआ है और ना ही उसकी दहशत।
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