गैंगस्टर से Don Abu Salem की अनसुनी कहानियां

गैंगस्टर से Don बने bu Salem की अनसुनी कहानियां

अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने जुर्म को एक नई परिभाषा दे दी है. गरीबी और मुफ्लिसी से जद्दोजहद करते हुए अंधेरी गलियों से निकलकर ये अपराधी ना केवल दुनिया भर की नजरों में आए, बल्कि इन्होंने अपने कारनामों से हर किसी के जहन में कभी ना भूल पाने वाला खौफ भी भर दिया. जी हां, ऐसा ही एक नाम है अबू सलेम का, जिसके खौफ से आज भी लोगों की धड़कने बढ़ जाती हैं. तो चलिए आज हम आपको गैंगस्टर से डॉन बने अबू सलेम की कुछ अनसुनी कहानियां बताते हैं.

डॉन अबू सलेम
अबू सलेम, जिसका पूरा नाम अबू समेल अब्दुल कयूम अंसारी है, वैसे कई जगहों पर उसे अकील अहमद आजमी, कैप्टन और अबू समान के नाम से भी जाना जाता है. अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का जन्म 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सराय मीर नामक गांव में हुआ था. अबू के पिता एक जाने माने वकील थे, लेकिन सड़क हादसे में उनकी मौत के बाद अबू सलेम का पूरा परिवार बिखर गया. अबू सलेम 7 भाई-बहन थे. मगर पिता की मौत के बाद परिवार बेहद गरीबी के दिन देखने पड़े थे. गरीबी ऐसी थी, कि अबू सलेम की मां ने छोटा-मोटा काम करके अपने परिवार को पाला.

चाचा ने की थी अबू सलेम की परवरिश

अबू सलेम चार भाइयों में 2 नंबर के थे, और अबू को उसके चाचा ने पाल पोस कर बड़ा किया. बड़ा होने के बाद अबू सलेम काम की तलाश में दिल्ली आया, जहां उसने कुछ वक्त तक बाइक रिपेयरिंग का काम किया, टैक्सी भी चलाया, लेकिन वहां कुछ बात नहीं बनी तो वो बीस-बाइस साल की उम्र में मुंबई आ गया, 1990 के दौर में मुंबई के जोगेश्वरी में एक छोटे से मॉल की दुकान पर बैठकर अबू सलेम फैशन का सामान, बेल्ट और इस तरह की अन्य चीज़ें बेचता था, ये दौर ऐसा था कि हर कोई भाई बनना चाहता था, और अबू सलेम को भी धीरे-धीरे भाईगीरी प्रभावित करने लगी है. 22-23 की कमसिन उम्र के अबू सलेम की आंखों में भी सपने पलने लगे थे, कि वो भी भाईगिरी करे, और लोग उनसे खौफ़ज़दा हों. धीरे- धीरे अबू सलेम की ये ख्वाइश परवान चढ़ने लगी, अबू सलेम दिन के समय में दुकान की स्टॉल पर बैठते, और फिर रात को गुंडागर्दी करने वाले लोगों के साथ घूमते फिरते, आवारागर्दी करते.


मुंबई की सड़कों से शुरू की थी गुंडागर्दी

मुंबई की सड़कों पर गुंडागर्दी करते हुए कुछ माह बाद ही अबू की मुलाकात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लोगों से हुई. पहले मामला दुआ सलाम तक रहा, लेकिन जल्द ही उसने डी कंपनी में काम काम करना शुरू कर दिया. उसके साथ उसका चचेरा भाई अख्तर भी शामिल था. यह जुर्म की दुनिया में उसका पहला कदम था. पहले वह आम कारिंदे की तरह काम करता रहा, लेकिन अपने हुनर और तेज़ दिमाग की वजह से जल्द ही वह गैंग में आगे बढ़ गया था. उसने गैंग में रहकर अपनी अलग पहचान बनाना शुरू कर दिया था. मुंबई के लोग भी धीरे धीरे उसे जानने लगे थे. अबू सलेम अब पूरी तरह से जुर्म के रंग में रंग चुका था.

1988 में अंधेरी में दर्ज हुआ था पहला केस

अबू सलेम के खिलाफ पहला मामला 1988 में मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, और 1991 में उत्तर पश्चिम मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आयुक्त आफताब अहमद खान ने अबू सलेम को पहली बार गिरफ्तार किया. अबू पर आरोप था कि उसने लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में व्यापारियों से अवैध उगाही की कोशिश के चलते गोलीबारी की थी. उसके खिलाफ इस संबंध में मामला भी दर्ज था. यह पहला मौका था जब पुलिस को अबू सलेम की तस्वीरें और फिंगर प्रिंट हासिल हुए थे.

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