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जिस वकील ने की पैरवी उसी से दिल लगा बैठा था Gangster Sunil Rathi, सुनील राठी की पढ़िए पूरी कहानी

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जिस वकील ने की पैरवी उसी से दिल लगा बैठा था Gangster Sunil Rathi, सुनील राठी की पढ़िए पूरी कहानी जिस प्रोपर्टी पर राठी लिखवा दिया जाता था उस पर हाथ रखने से पहले खरीददार सौ बार सोचता था , अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए उसने हाथ में हथकड़ी पहनने से भी गुरेज नहीं किया, जिस महिला वकील ने उसके केस की पैरवी की उसे ही दिल दे बैठा, यूपी और उत्तराखंड के कई नेताओं से जिसके अच्छे खासे संबंध थे, उस गैंगस्टर का नाम था सुनील राठी.....सुनील राठी फिलहाल दिल्ली की जेल में अपने कर्मों की सजा जरूर काट रहा है मगर कहा जाता है कि वो आज भी उतना ही ताकतवर है जितना जेल जाने से पहले था, उसकी दबंगई के किस्सों की अगर बात करें तो वो खुद कह चुका है कि जिस जेल में उसे 90 दिन रखा जाता है उसी जेल में 91वें दिन से उसका राज शुरू हो जाता है, ये हम नहीं कह रहे बल्कि कई जेल अधिकारी अपने बयान में कह चुके हैं। Gangster Sunil Rathi कहानी की शुरुआत होती है, उत्तर प्रदेश के बागपत से, जहां किसान के परिवार में जन्म हुआ था सुनील राठी का, 90 का दशक था। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश तब और भी ज्यादा बड़ा हुआ करता था। मत

Gangster Vicky Tyagi जिसे भरी अदालत में एक 16 साल के लड़के ने गोलियों से भूनकर मार डाला था

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Gangster Vicky Tyagi जिसे भरी अदालत में एक 16 साल के लड़के ने गोलियों से भूनकर मार डाला था Vicky Tyagi .....पश्चिमी उत्तर प्रदेश का वो गैंगस्टर जिससे बदला लेने के लिए एक सोलह साल का लड़का भरी अदालत में हथियार लेकर पहुंच गया था और जज के सामने उसने विक्की त्यागी को इतनी गोलियां मारी एक मैगजीन खत्म हो गई और दूसरी का इस्तेमाल करना पड़ा । आज हम बात करेंगे उसी विक्की त्यागी की जिसे पावर और सत्ता का ऐसा चस्का लगा था कि वो भूल गया कि बुरे काम का नतीजा भी बुरा ही होता है। विक्की त्यागी की कहानी की शुरुआत होती है, कॉलेज के समय से, मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज में छात्रों के बीच क्रिकेट मैच खेला जा रहा था, इसी मैच में दसवीं क्लास में पढ़ने वाले विक्की त्यागी ने अपना आपा त्याग दिया और विरोधी टीम के खिलाड़ियों की इस कदर पिटाई की कि पूरे कॉलेज में छात्र उसके नाम से दहशत में रहने लगे। Gangster Vicky Tyagi विक्की त्यागी मुजफ्फरनगर के चरथावल क्षेत्र के गांव पांवटी खुर्द के एक  संपन्न किसान परिवार  से ताल्लुक रखता था। मृतक विक्की त्यागी के पूर्वजों की एक लंबे समय  से गांव के ही कुछ लोगों से राजनीति के चलते

Monu Dariyapur, एक ऐसा Gangster जो साथी Gangster Sonu Dariyapur की बहन से कर बैठा था मोहब्बत

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Monu Dariyapur, एक ऐसा Gangster जो साथी Gangster Sonu Dariyapur की बहन से कर बैठा था मोहब्बत Monu Dariyapur  का असली नाम भूपेंद्र है , जोकि Bawana के Dariyapur Village में रहता था. इसके पिता का नाम फूल सिंह है.  Monu Dariyapur की स्टोरी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं. Monu Dariyapur की जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब उसे उसके दोस्त और गैंगस्टर सत्यवान उर्फ Sonu Dariyapur  की बहन राजरानी से मोहब्बत हुई. जब इनके प्यार की भनक परिवार वालों को लगी तो वो इसका विरोध करने लगे. परिवार द्वारा लगातार बढ़ते विरोध को देखते हुए दोस्तों के सहयोग से मोनू और राजरानी ने आर्य समाज मंदिर में जाकर शादी कर ली. मोनू दरियापुर और राजरानी की शादी की वजह से दोनों परिवारों में दुश्मनी की शुरुआत हुई. इसी दुश्मनी की वजह से सोनू गैंग के लड़कों ने पंजाब बाग में मोनू और उसकी पत्नी राजरानी की  गाड़ी पर हमला किया. इस हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और उनके ड्राइवर ब्रह्म  सिंह की मौत हो गई. मोनू पर हुए हमले का बदला लेने के लिए उसकी गैंग के लोग भी सोनू के गैंग के लोगों का ढूंढ ढूंढ कर शिकार करने लगे. सो

KGF की तरह पंजाब के फाजिल्का में भी जन्मा था गैंगस्टर रॉकी उर्फ जसविंदर सिंह

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  जसविंदर सिंह आपने हाल ही में रिलीज हुई साउथ की फिल्म केजीएफ टू देखी होगी, जिसमें रॉकी भाई का किरदार सभी को बेहद पसंद आया, ऐसा ही एक रॉकी की पंजाब में भी था, जिसका जन्म 1971 में फाजिल्का के एक छोटे से गांव में हुआ था, ये रॉकी भी गैंगस्टर से नेता बन गया था जिसकी हार के बाद भी सत्ता के भागीदारों के साथ अच्छी बातचीत थी, आप इस बात से जसविंदर सिंह उर्फ रॉकी की ताकत का अंदाजा लगा लिजिए की उस पर अलग अलग राज्यों में 22 सीरियस केस दर्ज थे फिर भी पंजाब पुलिस के चार जवान उसकी सुरक्षा में हमेशा तैनात रहते थे, कहा तो ये जाता है कि फाजिल्का में उसे अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी दिए गए थे, जिसकी किसी को भनक तक नहीं थी। गैंगस्टर रॉकी उर्फ जसविंदर सिंह जसविंदर सिंह रॉकी का 90 के दशक के बाद दबदबा बन रहा था। उस समय पंजाब में भी अपराध का स्तर भी बढ़ चुका था। बताते हैं कि रॉकी की मुलाकात इसी बीच यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी से हुई और उसी की दिखाई राह पर रॉकी आगे बढ़ गया। यूपी के विधायक और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में उसे उतारा था। इसके बाद रॉकी धीरे-धीरे अंसारी की आपराधिक गतिविधियों का राजदार

एक ऐसा पुलिसवाला जो खाकी उतारकर बन गया था खूंखार गैंगस्टर, बदला लेने के लिए कर दी थी हत्या

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बलराज भाटी एक रंजिश, एक ऐसी बेइज्जती जिसने दिल्ली पुलिस के सिपाही को गैंगस्टर बना दिया, जी हां हम बात कर रहे हैं गैंगस्टर बलराज भाटी की, जिसका जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के शिवनगर ढूंसरी गांव में हुआ था, बलराज जन्म से ही अक्खड़ किस्म का इंसान था, गांव में लोगों से छोटे-मोटे झगड़ा होना उसके लिए आम बात थी, किसान जगराज के घर में उसका जन्म जरूर हुआ था मगर उसका मन खेती में नहीं लगता था, और किसी के भी दवाब में काम करना उसे कतई भाता नहीं था। अच्छी कद काठी के चलते उसने दिल्ली पुलिस में भर्ती होने का मन बना रखा था और उसके लिए तैयारी भी करने लगा था मगर एक बार जब वो गांव की पोखर में अपने जीजा के साथ मछली पकड़ने गया, बस यहीं से उसके जीवन ने एक ऐसा मोड़ ले लिया जिससे वो गैंगस्टर बन गया। मछली पकड़ने को लेकर शुरू हुआ था विवाद दरअसल, गांव की जिस पोखर पर बलराज अपने जीजा के साथ मछली पकड़ने के लिए गया था वो गांव के एक रसूखदार आदमी पप्पू उर्फ कटार सिंह की थी, कटार सिंह ने उसे मछली पकड़ते हुए पकड़ लिया और जमकर मारपीट की, इतनी जिल्लत और बेइज्जती होने से बलराज के मन में ये बात बैठ गई और सने ठान ली थी

अमित भूरा एक ऐसा गैंगस्टर जो पुलिसकर्मियों को शराब पिलाकर हो गया था फरार

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  अमित भूरा   story of gangster amit bhura जो ब्रांडेंड कपड़ों का था शौकीन, जो पुलिसकर्मियों को शराब पिलाकर हो गया था फरार, जिसके पास हर शहर में होती थी अलग गर्लफ्रैंड, जो अकेला ही लूट लिया करता था कार, उसका नाम है अमित भूरा, उर्फ अमित मलिक, रंग जरूरत से ज्यादा गौरा था लिहाजा उसे भूरा नाम मिला, दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को अमिर भूरा ने नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। तीनों राज्यों की पुलिस उसे ढूंढने में लगी थी एक वक्त तो ऐसा था जब वो तीनों राज्यों की पुलिस का टारगेट नंबर एक था। अमित का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर के सरनावली गांव में हुआ था, उसके पिता का नाम यशपाल मलिक था। पहली बार बाइक लूट मामले में उसका नाम सामने आया था, जिसका पता दो साल बाद चला था, कहते हैं उसने मामूली विवाद में दुकानदार की हत्या कर दी थी, मधु विहार थाने में 2010 में हुई गिरफ्तारी के बाद तैयार उसके डोजियर के मुताबिक , उसके आपराधिक जीवन की शुरुआत राजपाल नाई के गिरोह से हुई थी। उसने मुजफ्फरनगर में उसके खिलाफ गवाह का मर्डर किया। पुलिस का मुखबिर बन गया था भूरा 2002 में पुलिस एनकाउंटर में राजपाल की म